औरत के ऊपर कहानी

औरत का सफर,
बाबुल का घर छोड़ कर पिया के घर जाती है
एक लड़की जब शादी कर औरत बन जाती है
अपनी ख्वाहिशों को जलाकर और के सपने सजाती है ..
सुबह सवेरे जागकर सबके लिए चाय बनाती है
नाह धोकर सबके लिए नाश्ता बनाती है..
पति को विदा कर बच्चों के लिए टिफिन सजाती है..
झाड़ू पोछा निपटा कर कपड़ों पर जुट जाती है
पता ही नहीं चलता कब सुबह से दोपहर हो जाती हैं..
जैसे सबके लिए खाना बनाने किचन में जुट जाती हैं..
सास ससुर को खाना परोस बच्चों को स्कूल से लाती है..
बच्चों संग हंसते-हंसते खाना खाती है और खिलाती है..
फिर बच्चों को ट्यूशन छोड़ थेला थाम  बाजार जाती है..
घर के अनगिनत काम कुछ देर में निपटाकर आती है..
पता ही नहीं चलता कब दोपहर से शाम हो जाती है..
सात सुर की चाय बनाकर फिर से चोके में जुट जाती है..
खाना-पीना निपटा कर फिर बर्तनों में जूट जाती है..
सबको सुलाकर सुबह उठने को  फिर से वो सोजाती है..
हैरान हूं दोस्तों ये देखकर 16 घंटा ड्यूटी बजाती है..
फिर भी एक पैसे की पगार नहीं पाती है..
न जाने क्यों दुनिया उस औरत की मजाक उड़ाती है..
न जाने क्यों दुनिया उस औरत पर चुटकुले बनाती है..
जो पत्नी मां बहन बेटी ना जाने कितने रिश्ते निभाती है..
के आंसू पोहुंचती है, लेकिन खुद के आंसू छुपाती हैं...
नमन है मेरा उस घर की लक्ष्मी को जो घर को स्वर्ग बनाती है..
डोली में बैठकर आती है और अर्थी पर लेट कर जाती है..
ऐसी कहानी रोज पढ़ने के लिए मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजें धन्यवाद
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