बात कुछ ऐसे ही जो सच है।
पिता :- कन्यादान नहीं करूंगा जाओ , मैं नहीं मानता इसे , क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,जिसको दान में दे दूँ ; मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में , पति के साथ मिलकर निभाना तुम , मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा , आज से तुम्हारे दो घर ,जब जी चाहे आना तुम , जहाँ जा रही हो ,खूब प्यार बरसाना तुम , सब को अपना बनाना तुम ,पर कभी भी न मर मर के जीना ,न जी जी के मरना तुम , तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम , ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम , न तुम बेचारी , न अबला , खुद को असहाय कभी न समझना तुम , मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें , मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ , उसे बखूबी निभाना तुम ................. *एक नयी सोच एक नयी पहल*सभी बेटियां के लिए 🔰🚥🚥🔰 🌿➖बोये जाते हैं बेटे.. 🌿➖पर उग जाती हैं बेटियाँ.. 🌿➖खाद पानी बेटों को.. 🌿➖पर लहराती हैं बेटियां. 🌿➖स्कूल जाते हैं बेटे.. 🌿➖पर पढ़ जाती हैं बेटियां.. 🌿➖मेहनत करते हैं बेटे.. 🌿➖पर अव्वल आती हैं बेटियां.. 🌿➖रुलाते हैं जब खूब बेटे. 🌿➖तब हंसाती हैं बेटियां